![]() आम सवालात के जवाबात (F.A.Q.) | |
अ. क्र. | सवाल - जवाब |
१) | महेदी माउद (अस) का पुरा नाम क्या है? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) का पुरा नाम सय्यद मुहम्मद बीन सय्यद अब्दुल्लाह है। |
२) | महेदी माउद (अस) कहाँ पैदा हुए? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) शहर जौंनपुर उत्तरप्रदेश हिंदुस्तान में पैदा हुए। |
३) | महेदी माउद (अस) का नाम किसने रखा? |
जवाब : | सय्यद अब्दुल्लाह (वालीद महेदी माउद (अस)। के ख़्वाब में आकर हज़ मुहम्मद रसुलल्लाह ने कहा के मैंने बच्चे का नाम मुहम्मद रखा है इस लिए आपका नाम मुहम्मद रखा। |
४) | महेदी माउद (अस) के वालीद का नाम क्या था? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) के वालीद का नाम सय्यद अब्दुल्लाह उर्फ सय्यदखाँ (र.जी) था। सय्यदखाँ आपका लक़ब है जो सलतनत ने दिया था। |
५) | महेदी माउद (अस) के वालीदा का क्या नाम था? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) के वालीदा का नाम बीबी आमीना (र.जी) |
६) | महेदी माउद (अस) के चाचा (ससुर) का क्या नाम था? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) के चाचा (ससुर) का नाम सय्यद जलालुद्दीन था। |
७) | महेदी माउद (अस) के मामुजान का क्या नाम था? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) के मामुजान का नाम सय्यद अली था। क़ियामुलमुल्क नाम से मशहुर थे। |
८) | हज़रता आमीना के बत्न (शिकम) में महेदी माउद (अस) होने की ताबीर किसने की? |
जवाब : | हज़रता आमीना के बड़े भाई सय्यद अली ने हज़. आमीना के शिकम में महेदी माउद होने की ताबीर की। और आप ने फरमाया के “मालुम होता है के अल्लाह ताला तुम्हारे बत्ने मुबारक से खातीमुल अवलिया विलायत मुहम्मदीया महेदी माउद को पैदा करेगा।” |
९) | हज़रता आमीना हामीला के हालत में कौन सी गैबी आवाज सुनतीं थीं? |
जवाब : | “महेदी हक़ है।” ये आवाज सुनतीं थीं। |
१०) | महेदी माउद (अस) के पैदाईश के वक़्त शहर जौंनपुर में कितने आलीम थे? |
जवाब : | १७०० आलीम पालकिनशीन थे। |
११) | महेदी माउद (अस) का उपनाम क्या था? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) का उपनाम अबुल कासीम था। जो मुहम्मद सलअम का भी था। |
१२) | महेदी माउद (अस) के पैदाईश के वक़्त नववी सदी हिजरी में इस्लाम की क्या हालत थी? |
जवाब : |
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१३) | सय्यद अब्दुल्लाह को सय्यदखाँ क्यों कहते थे? |
जवाब : | सय्यदखाँ आपका सलतनत ने बहाल किया गया लक़ब (पदवी) था, इसलिए ये लोगों में सय्यदखाँ के नाम से मशहूर और मारुफ़ थे। |
१४) | महेदी माउद (अस) के बड़े भाई का नाम क्या था? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) के बड़े भाई का नाम सय्यद अहमद था। |
१५) | महेदी माउद (अस) के दादा कहाँ से आए थे? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) के दादा सय्यद उस्मान समरकंद अफ़गानिस्तान से हिंदोस्तान के बादशाह तैमुरलंग के जमाने में दिल्ली में आए मगर जब दिल्ली को छोड़ कर तैमुर अफ़गान चला गया तो तैमुर की हुकूमत पर दूसरों ने कब्जा किया तब महेदी माउद के दादा दिल्ली से जौंनपुर में आकार बस गए। |
१६) | शहर जौंनपुर को किसने बसाया? |
जवाब : | शहर जौंनपुर को सुलतान फिरोज़ शाह तुगलक ने बसाया। आपके एक भाई का नाम यौहान था उसके नाम से यौहानपुर रखा गया आगे चलकर यह जौहानपुर... से जौंनपुर बन गया। |
१७) | महेदी माउद (अस) के पैदाईश पर जो गैबी आवाज आयी उसको किसने सुना? |
जवाब : |
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१८) | महेदी माउद (अस) के जमाने में जौंनपुर के बादशाह कौन थे? |
जवाब : | पैदाईश के वक़्त सुलतान महेमूद शरखी, हिजरत के वक़्त सुलतान हुसेन शरखी। |
१९) | महेदी माउद (अस) किस उम्र में क़ुरआन हाफ़िज़ हुए? |
जवाब : | ७ साल की उम्र में महेदी माउद (अस) क़ुरआन हाफ़िज़ हुए। |
२०) | महेदी माउद (अस) ने मज़हब की तालीम किस उम्र में मुकम्मील की? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) ने मज़हब की तालीम १२ साल की उम्र में मुकम्मील की। |
२१) | महेदी माउद (अस) की तालीम क्या थी? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) की तालीम हाफ़िज़ क़ुरआन व आलीम क़ुरआन थी। और अल्लाह से हर रोज नयी तालीम पाते थे। |
२२) | महेदी माउद को “असदउलउलेमा” का लक़ब किसने और क्यों दिया? |
जवाब : | महेदी माउद को “असदउलउलेमा” का लक़ब जौंनपुर के कुल आलिमों ने मिलकर दिया क्योंके किसी भी दीनी मसले का हल जब कोई आलीम नहीं कर सकता तब सब आलीम महेदी माउद की तरफ रुजु होते और महेदी माउद वो मसले का हल एक जवाब में जल्द ही देते महेदी माउद की इस ख़ूबी को जानकर जौंनपुर के आलिमों ने महेदी माउद को “असदउलउलेमा” का लक़ब दिया। |
२३) | खाजा खिजर (अस) ने मुहम्मद सलअम की कौन सी अमानत महेदी माउद के सुपुर्द की? |
जवाब : |
खाजा खिजर (अस) ने मुहम्मद सलअम की ३ आमनतें सुपुर्द की
|
२४) | जिक्रे खफ़ी की तालीम सबसे पहले किसको दी? |
जवाब : | जिक्रे खफ़ी की तालीम सबसे पहले खाजा खिजर (अस) को दी। फिर शेख़ दानियाल चिस्ती (रअ) इसके बाद बड़े भाई सय्यद अहमद को दी। |
२५) | खाजा खिजर (अस) व महेदी माउद (अस) की मुलाक़ात बारे अमानत सुपुर्द करने के लिए कहाँ हुयी? |
जवाब : | गोमती नदी के किनारे, खोकरी मस्जिद के एक खुफिया हुजरा में, शहर जौंनपुर, जुमा के रोज़, जौहर के वक़्त हुई। |
२६) | जिक्रे खफ़ी अमानत देने के बाद खाजा खिजर (अस) महेदी माउद को किस तरह मुखातीब हुए? |
जवाब : | जिक्रे खफ़ी अमानत देने के बाद खाजा खिजर (अस) महेदी माउद को “आख़रुज्जमा” कहकर मुखातीब हुए। |
२७) | महेदी माउद (अस) के पैदाइश की तारीख़ क्या है? |
जवाब : | १४ जमादील अव्वल ८४७ हिजरी। |
२८) | महेदी माउद (अस) की उम्र बात करने के क़ाबिल हुई तब सबसे पहिली बात मुहसे क्या निकली? |
जवाब : | बात करने के क़ाबिल उम्र में सबसे पहिली बात “ महेदी माउद (अस) आया” मुह से निकली। |
२९) | महेदी माउद (अस) की बिस्मिल्लाह खानी (तसमियाँ खानी) किसने पढ़ाई? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) की बिस्मिल्लाह खानी खाजा खिजर (अस) के कहने से शेख़ दानीयल चिस्ती (रअ) ने पढ़ाई। |
३०) | महेदी माउद (अस) की बिस्मिल्लाह खानी के बाद आमीन किसने कहा? |
जवाब : | बा आवाज़ बुलंद खाजा खिजर (अस) ने आमीन कहा। |
३१) | महेदी माउद (अस) के बिस्मिल्लाह खानी में कौंन कौंन शरीक थे? |
जवाब : | शेख़ दनियाल चिस्ती (रअ), उल्मा, फुकहा, अत्किया, उरफ़ा, वुजरा, फौजी जौंनपुर से, खाजा खिजर (अस), खाजा ईलियास (अस), हज़ ईसा (अस), हज़ ईद्रीस (अस) अल्लाह के हुक्म से हाजिर हुवे बातीन में। |
३२) | महेदी माउद (अस) के बीबीयां (अज़वाजे मुतहरात) के नाम क्या हैं? |
जवाब : |
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३३) | महेदी माउद (अस) के बेटों के क्या नाम हैं? |
जवाब : |
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३४) | महेदी माउद (अस) के बेटियों के क्या नाम हैं? |
जवाब : |
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३५) | महेदी माउद (अस) जौंनपुर में कहा रहते थे? |
जवाब : | महेदी माउद (अस), मियाँपुर, मिरांघर मुहल्ला में रहते थे। |
३६) | महेदी माउद (अस) और जौंनपुर के बादशाह हुसेन शरखी मिलकर किस बादशाह के खिलाफ़ जंग की? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) और जौंनपुर के बादशाह हुसेन शरखी मिलकर गौड़ बंगाल का राजा दलपतराय के खिलाफ़ जंग की। ये जंग लखनौती, मौजुदा लखनऊ (उ.प्र) में हुयी। |
३७) | महेदी माउद (अस) को जंग में जज़्बा क्यों हासील हुवा? |
जवाब : | जंग के दौरान महेदी माउद (अस) ने राजा दलपतराय के कंधे पर तलवार से वार किया। वार से उसका दिल बाहर आ गया, उसके दिल पर एक नक़्शा नजर आया जो बुत का था जिसकी पुजा राजा करता था, महेदी माउद को खयाल हुवा के बातील के इबादत का ये असर है तो हक़ की इबादत का असर कितना होगा, आपको जज़्बा तारी हुवा। |
३८) | जज़्बा कितने साल हुवा? |
जवाब : | जज़्बा १२ साल हुवा। जज़्बे की हालात में अपनो से व दुनिया से बेखबर रहते थे मगर नमाज़ के वक़्त होश आता था। |
३९) | महेदी माउद (अस) ने जौंनपुर से कब हिजरत की? |
जवाब : | उम्र के ४० वे साल में शहर जौंनपुर से ८८७ हिजरी में अल्लाह के हुकुम से महेदी माउद (अस) ने हिजरत की। |
४०) | महेदी माउद (अस) ने कितने साल तक हिजरत व तबलीग फरमायी? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) ने २३ साल हिजरत व तबलीग फरमायी। |
४१) | महेदी माउद (अस) ने हिजरत किस उम्र में की? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) ने उम्र के ४० वे साल में ८८७ हिजरी में शहर जौंनपुर से की? |
४२) | महेदी माउद (अस) के हिजरत का दौर कितने साल रहा? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) का दौर २३ साल का रहा। ८८७ हिजरी से ९१० हिजरी तक, जौंनपुर से फ़राह तक का सफर। |
४३) | महेदी माउद (अस) ने पहला दावा ए महेदीयत कब और कहाँ किया? |
जवाब : |
महेदी माउद (अस) ने पहला दावा ए महेदीयत रुक्न व मक़ाम के दरमियान और हजर ए असवद के दरमियान, बा आवाज बुलंद हजारों लोगों के मजमें में अल्लाह के हुक्म से फरमाया, अल्फ़ाज़ ये थे... “मैं महेदी माउद (अस) अल्लाह का खलीफ़ा, मुहम्मद रसुलल्लाह की पैरवी करनेवाला हूँ, जिसने मेरी पैरवी की वह मोमीन है।” ये दावा ९०१ सन हिजिरी में किया। |
४४) | पहला दावा ए महेदीयत के बाद महेदी माउद (अस) के दाअवे की इत्तेबाअ किसने की? |
जवाब : |
महेदी माउद (अस) के पहला दावा ए महेदीयत की इत्तेबाअ बा आवाज बुलंद हजारों लोगों के मजमें में कअबतुल्लाह में... अ) बंदगी मियाँ शाहनिज़ाम (रजी) बादशाह जायस अमेठी। ब) काज़ी अलाउद्दीन (रजी) मुहाजिर महेदी बीदर। क) एराबी, शाफ़ी मुसल्ले के इमाम। तीनों ने एक साथ कहा... “हम आपकी इत्तेबाअ करते है।” |
४५) | महेदी माउद (अस) ने दुसरा दावा ए महेदीयत कब और कहाँ किया? |
जवाब : |
महेदी माउद (अस) ने दुसरा दावा ए महेदीयत अहमदाबाद (गुजरात) की ताजखाँ सालार की मस्जिद में अल्लाह के हुक्म से किया, यह मस्जिद आज भी मौजुद है। अल्फ़ाज़ ये थे... “मैं महेदी माउद (अस) अल्लाह का खलीफ़ा, मुहम्मद रसुलल्लाह की पैरवी करनेवाला हूँ, जिसने मेरी पैरवी की वह मोमीन है।” ये दावा ९०३ सन हिजिरी में किया। |
४६) | महेदी माउद (अस) ने तीसरा दावा ए महेदीयत कब और कहाँ किया? |
जवाब : |
महेदी माउद (अस) ने तीसरा दावा ए महेदीयत शहर बड़ली (गुजरात) में जोहर की नमाज़ के बाद इज़मा में अल्लाह के हुक्म से फ़रमाया। अल्फ़ाज़ ये थे... “मैं महेदी माउद (अस) अल्लाह का खलीफ़ा, मुहम्मद रसुलल्लाह की पैरवी करनेवाला हूँ, जिसने मेरी पैरवी की वह मोमीन है। और जिसने मेरी जात का इन्कार किया वो काफ़ीर है” ये दावा ए मुअक्क्द कहलाता है क्योंके इस दावे में ताकीद याने धमकी थी के जिसने महेदी का इन्कार किया वो काफ़ीर है। ये दावा ९०५ सन हिजिरी में किया। |
४७) | महेदी माउद (अस) कौंन सी तफ़सीर बयान करते थे? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) अल्लाह के हुक्म से “मुरादअल्लाह” तफ़सीर बयान करते थे। |
४८) | क़ुरआन की तफ़सीरें कौन सी हैं? |
जवाब : |
• सुन्नी तफ़सीरें : 1. तनवीर अल मिक़बास (तफ़सीर इब्न अब्बास) लेखक : अब्दुल्लाह इब्न अब्बास। 2. तफ़सीर अल तबारी लेखक : मुहम्मद इब्न जाबीर अल तबारी। 3. म’आलीम अल तंजीर लेखक : अल बघावी। 4. तफहीम उल क़ुरआन लेखक : अबुल आला मौदुदी। • शीया तफ़सीरें 1. तफ़सीर इमाम जाफ़र सादिक़ 2. अल तिब्बयन फ़ी तफ़सीरुल क़ुरआन लेखक : शेख़ तुसी। 3. तफ़सीर अल मिज़ान लेखक : अल्लामा तबतबी। • महेदवी तफ़सीरें 1. तफ़सीर “मुरादअल्लाह” : महेदी माउद (अस) जौंनपुरी (सिर्फ बयान किया।) 2. तफ़सीर लव्वामा उल बयान लेखक : मौलाना अशरफ़ुल्ल उल्मा बहरुल उलूम अल्लाम्मा हज़ सय्यद अशरफ़ शमसी (रअ), हैद्राबाद. (आंध्र. प्र) 3. तफ़सीर नुरे इमान लेखक : मौलाना मिरांजी सय्यद आबिद खुंदमिरी, चनपटन. (कर्नाटक) |
४९) | महेदी माउद (अस) का मज़हब कौंनसा है? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) का मज़हब “किताबुल्लाह व इत्तेबा ए मुहम्मद रसुलल्लाह है।” |
५०) | क्या महेदी माउद (अस) ख़ुद को महेदी माउद कहते थे? |
जवाब : | नहीं! अल्लाह का फरमान होता था के “तुझ को हमने महेदी माउद किया है, तु महेदी माउद आख़रुज़्जमा है” |
५१) | महेदी माउद (अस) ने मज़हब की क्या व्याख्या बतायी है? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) ने कहा है... “मज़हब इमाम की गुफ़तार (क़ौल) नहीं, इमाम का अमल है।” |
५२) | महेदी माउद (अस) ने रसुलल्लाह के “सुन्नत” की क्या व्याख्या बतायी है? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) ने कहा है के रसुलल्लाह की “सुन्नत” रसुलल्लाह का “अमल” है, गुफ़तार नहीं और ये भी कहा है के तमाम शरयी मुआमीलात जो फ़िकह की किताबों में लिखी हैं वो पैगंबर सल्लल्लाह की “गुफ़तार” हैं न की पैगंबर सल्लल्लाह का “अमल”। |
५३) | फ़िकह की किताबें कौंन कौंन सी हैं? |
जवाब : |
अ) सुन्नी फ़िकह की किताबें १. बुख़ारी शरीफ़ २. मुस्लिम शरीफ़ ३. तिरमिजी शरीफ़ ४. अबु दाउद ५. मिशकात शरीफ़ ६. अबु अब्दुल रहेमान ब) शीया फ़िकह की किताबें १. मन ला यदहुरूहु अल फ़िकह २. अल काफी ३. अल अस्तिबसार ४. तहज़ीब अल अहेकाम |
५४) | फ़िकह का क्या मतलब है? |
जवाब : | इस्लामी क़ानून को फ़िकह (इस्लामीक जुरीसप्रुडेनस) कहते हैं। |
५५) | महेदी माउद (अस) ने अपने आख़िरी बयान में क्या फ़रमाया? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) ने अपने आख़िरी बयान में सय्यद खुंदमिर को क़ुरआन की आयत सुरह युसुफ की बारावी (१२) का बयान फ़रमाया।![]() कहो ये मेरा रास्ता है मैं अल्लाह की तरफ बुलाता हूँ। बसीरत पर, मैं और जो मेरा पैरवी करनेवाला है। और अल्लाह पाक है और मैं शिर्क करनेवालों में से नहीं हूँ। बंदगी मियाँ शाहनेमत (रजी) जब महेदी माउद (अस) के विसाल के वक़्त रोनें लगे तब आपने फ़रमाया मत रोना, कहा यह वक़्त रोने का नहीं है बंदा अभी तुम में मौजुद है और याद रखो जब तक तुम्हारे दिलों में मेरी हिदायत रहेगी और जब तक तुम इसपर अमल करते रहोगे तब तक मैं आप के साथ हूँ और जब तुम्हारे दिलों से अमल और मेरी हिदायत चली जाएगी तब रोने का वक़्त होगा। |
५६) | महेदी माउद (अस) के वफ़ात की तारीख़ क्या है? |
जवाब : | पीर ९१० हिजिरी सन, १५०४ ई.सन। |
५७) | सवियत किसे कहते है? |
जवाब : | दायरा के मुर्शिद या आप के खलिफ़ा या कोई फक़ीर, मुर्शिद के इजाजत से दायरा के लोगों को, फुक़रावों को या जरूरतमंदों को जो समान हिस्सा अनाज का, या पका हुवा खाना या रुपैया, पैसा, कपड़ा या अशरफ़ी का बाँटा जाता है उसे सवियत कहते है। |
५८) | फ़ुतूह किसे कहते है? |
जवाब : | मुरीद, मुआफीक या मोमिन लोग "अल्लाह दिया" कहकर तयार खाना, अनाज, दाना-पानी, रुपिए, पैसा, कपड़ा, फल-फ्रूट या सबज़ी जो मुर्शिदिन या आप के खलिफ़ा या फ़क़ीर को दी जाती हैं उसे फ़ुतूह कहते है। |
५९) | दायरा का क्या मतलब है? |
जवाब : | एक गोल रिंगन या हुदूद (Boundry) वाली ऐसी जगह जहाँ महेदवी लोग अपने घर बनाकर रहते है और जिसमें दीनी उमूर (अमल) को अंजाम देने के लिए एक जमात खाना होता है। यह दायरा आम तौर पर गाँव-शहर से बाहर जंगल में रहता है और आतराफ से बाड़ लगायी जाती है, इस पुरे बनावट को दायरा कहते हैं और इस दायरा के अंदर अल्लाह के हुदूद पर अमल किया जाता है। महेदी माउद (अस), सहाबा महेदी माऊद (अस), खलिफ़ा, आप के ताबईन व तब्बेताबइन इस दायरा की जिंदगी पर अमल करते थे। |
६०) | पसखुर्द किसे कहते है? |
जवाब : | पानी, पान या खाना जो इमाम महेदी माउद (अस), आप के खलिफ़ा, आप के ताबईन व तब्बेताबइन या मुर्शिदिन इस्तेमाल करते है और बचाकर उसमें से कुछ अपने इरादतमंद मुरीदों को देते है उसे पसखुर्दा कहते है। इस पसखुर्दा में करीश्माई और सेहत मंदी का असर होता है। आप महेदी माउद (अस) और आपके खलीफ़ा, सहाबा, आप के ताबईन व तब्बेताबइन ने पसखुर्दा देने का अमल किया है और मुर्शिदिन भी आज के दौर में ये अमल जारी रखें है। |
६१) | महेदी माउद (अस) के मय्यत को गुसुल किसने दिया? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) के मय्यत को गुसुल बंदगीमियाँ शाहनेमत (रजी) ने दिया। |
६२) | महेदी माउद (अस) के जनाज़ा की नमाज़ किसने पढ़ायी? |
जवाब : | ह. बंदगीमियाँ सय्यद महेमूद (रजी) ने महेदी माउद (अस) के जनाज़े की नमाज़ पढ़ायी। |
६३) | महेदी माउद (अस) के जनाज़े की नमाज़ कहाँ पढ़ायी गयी? |
जवाब : | फराह (अफगानिस्तान) से बाहर एक पुराने ईदगाह पर महेदी माउद (अस) के जनाज़े की नमाज़ पढ़ायी गयी। |
६४) | महेदी माउद (अस) के मय्यत को सबसे पहले मुश्त-ए-ख़ाक किसने दी? |
जवाब : | ह. बंदगीमियाँ सय्यद महेमूद (रजी) ने महेदी माउद (अस) के मय्यत को सबसे पहले मुश्त-ए-ख़ाक दी। |
६५) | महेदी माउद (अस) के विसाल पर मय्यत के बाद किसने बयान किया? |
जवाब : | ह. बंदगीमियाँ सय्यद महेमूद (रजी) ने महेदी माउद (अस) के विसाल पर मय्यत के बाद बयान किया। |
६६) | महेदी माउद (अस) के विसाल के बाद ह. बंदगीमियाँ सय्यद महेमूद, सानी महेदी (रजी) ने बयान में क्या कहा? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) के विसाल के बाद ह. बंदगीमियाँ सय्यद महेमूद, सानी महेदी (रजी) ने क़ुरआन की आयत “व मा कान मुहम्मदन इल्ला रसुल... ता आखीर” बयान दिया। |
६७) | महेदी माउद (अस) की मुखालफ़त किसने की? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) की मुखालफ़त उल्मा-ए-जाहीर ने की और उल्मा-ए-हक़्क़ानी ने आप की पैरवी की। |
६८) | महेदी माउद (अस) को कौन पहेचानेगे? |
जवाब : | महेदी माउद (अस) को आरेफ़िन पहेचानेगे। |
दारुलऊलूम महेदविया जौनपुर टु फराह। - 2016. Last Update on 17/10/2016. |
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